Friday, November 15, 2024
What is C++ ?

Introduction to C++

C++ यह एक Intermediate language के रूप में जानी जाती है | C++ Bjarne stroustrup के द्वारा develop की गयी थी। क्योंकि यह High level and low level language की सुविधाओं का एक संयोजन है।

C++ एक object oriented programming language है। यह 1979 में बेल लैब्स में जार स्टरपॉप द्वारा विकसित C भाषा में वृद्धि के रूप में शुरू किया गया था। इस भाषा का मूल नाम Sea with Classes था, जिसे 1983 में C ++ में बदल दिया था।
C ++ को System programming की ओर एक bias के साथ design किया गया था और इसके design Highlights के रूप में प्रदर्शन और दक्षता के संदर्भों में भी उपयोगी पाया गया है |

C++ को Standardization के लिए International Organization ( ISO ) के द्वारा Standardized किया गया है | C++ programming language को 1998 में Standardized किया गया था | और बाद में C ++ 03, C ++ 11 और C ++ 14 Standards द्वारा Revised किया गया था।

Computer scientist Bjarne Stroustrup ने Bell Labs में 1979 से C भाषा के विस्तार के रूप में विकसित किया था | वह C के समान एक Efficient and flexible language चाहते थे |

C language के सभी features C++ में पाये जाते है। C++ एक middle level language है। जो high level और low level languages को support करता है |

Features of C++

C ++ मे सभी programs Simple english language में लिखा जा सकता है | ताकि प्रोग्रामर द्वारा इसे समझना और develop करना आसान हो।
यह निर्देश को एक प्रणाली से दूसरी प्रणाली तक ले जाने का concept है। C ++ language में .cpp फाइल में source code होता है | हम इस कोड को edit भी कर सकते हैं।

जब हम .exe फ़ाइल को किसी अन्य कंप्यूटर में कॉपी करते हैं | जिसमें Window operating system होता है |तो यह ठीक से काम करता है | क्योंकि एप्लिकेशन का मूल कोड एक Operating System के समान होता है।

यह एक multipurpose language है। इसे आप बड़े software create करने के लिए use कर सकते है। जैसे की device drivers बनाने के लिए C++ का use किया जाता है।

C ++ एक Powerful programming language है | इसमें डेटा प्रकारों, कार्यों, का नियंत्रण, और निर्णय लेने की एक Detailed truth है।

C ++ का यह मुख्य लाभ यह होता है कि यह एक Object oriented Programming language है | जो
polymorphism, inheritance, encapsulation, abstraction जैसी concept को fallow करता है।

Object Oriented Principles in C++

C++ language मे use होने वाले object oriented principle के बारे मे निचे बताया जा रहा है ।

Class
Class एक user defined data structure होता है। और Class भी structure की तरह ही होता है। जिसमे हम variable के साथ साथ functions भी create कर सकते है | और बाद में इन्हें objects के द्वारा access किया जाता है |

Objects
जैसा की मै आपको बताया Class एक user defined structure होता है। और Class के variables को objects कहा जाता है। Object के द्वारा आप class के variables और functions को access कर सकते है।

Abstraction
Object oriented Programming का Abstraction ऐसा भाग होता है | जिसमे user को वही functionality दी जाती है | जो important हो | उदाहरण के लिए मान लीजिए आप एक car को चला रहे है तो आप सिर्फ clutch, gear और steering पर ध्यान देंगे engine किस प्रकार काम कर रहा है | इससे आपका कोई मतलब नहीं होता है। यह functionality Abstraction के द्वारा ही मुमकिन है |

Encapsulation
Encapsulation एक object oriented programming feature है | Encapsulation के द्वारा data और functions को outside access से protect किया जाता है | Encapsulation हमे Public, Private, Protected का protection provide करती है। जब भी हम एक class बनाते है | तो हमारे class का type by default private होता है |

Inheritance

Inheritance object oriented programming का concept है | जिसमे Inheritance के द्वारा एक code को दूसरी जगह बहुत ही आसानी से use किया जा सकता है। उदाहरण के लिए मान लीजिये आपने एक class बनाया | और उस class के functions को आप दूसरी class मे use करना चाहते है | तो आप अपने class को
Inherit कर सकते है |

Polymorphism

Polymorphism के द्वारा आप एक function से कई तरह के task perform कर सकते है। C++ मे function overloading द्वारा Polymorphism को implement किया गया है | जिसमें एक function के द्वारा अलग अलग operation perform किये जाते है |

Message Passing

Message passing Procedures के बीच Communications का एक प्रकार है। Parallel programming और object oriented Programming में उपयोग किया जाने वाला Communications का एक रूप है।

Variable

ये data types की values अपने अंदर store करके रखता है |
Variable ये एक memory location का नाम भी होता है

Variable के नियम :

  • Variable ये case-sensetive होता है | for exp. int a और int A ये अलग-अलग variables है |
  • Variable की शुरुआत किसी भी alphabet(a-z, A-Z) या underscore( _ ) से होती है |
  • Variables का नाम alphanumeric हो सकता है | For exp. a1 = 5, var1, var2
  • Variable ये space को allow नहीं करता |
  • Variable name कोई भी C++ Keywords नहीं होता |

Type of Variables

C++ मे variables को दो भागो मे बाटा गया है | इनका list निचे block मे दिया गया है |

  1.  Local Variables
  2.  Global Variables

Local Variables:

Local variables वो variables होते है | जो किसी न किसी block में create किये जाते है | ऐसे variables सिर्फ उसी block में ही access किये जा सकते है | जहा पर इन्हें define किया गया है |

Global Variables:

Global variables वे variables होते है | जिन्हें हम पुरे program मे access कर सकते है | ऐसे variables को program की शुरुआत में ही define किया जाता है। और जो variables program की शुरुआत मे ही define किये जाते है | उन्हें हम global variables कहते है |

Data Types

जिस तरह C language मे data को store करने के लिए variables को create करते है | ठीक उसी प्रकार से C++ मे भी data variables create करते है | इन्ही data variables को data types कहा जाता है |
Data type द्वारा ही compiler को यह पता चलता है | की variables में किस प्रकार का data store किया गया है | और साथ ही compiler memory space को judge करता है | की कौन सी variable मे कितना memory space assign करना है। C++ में data types को 3 भागो में divide किया गया है

  1. Basic Data Types : इस प्रकार के data types को ज्यादातर use किया जाता है | और यह data type सभी programming languages मे पाए जाते है |
    basic data types का list निचे दिया जा रहा है |
    I.  Integer data type
    II.  Float data type
    III. Character data type
  2. User Defined Data Types : इस data types को class कहा जाता है | जिसे हम खुद create करते है, और access करते है |
    User defined data types के बारे मे आप already C language मे पढ़ चुके है | C language मे structure और onion एक user defined data type होते है | इस प्रकार के data types C++ में भी पूरी तरह allowed है। और साथ ही C++ हमे कुछ नए user define data types create करने की capabilities provide करती है जो object oriented programming के नाम से जाना जाता है |
  3. Derived Data Types : इसमे कई प्रकार के data types का combination होता है | और इस प्रकार के data types को Derived Data Types कहा जाता है
    Derived data types वह data types होते है | जिनके द्वारा हम program मे कुछ operation perform करते है | Derived data types basic data types से derived होते है। C++ में 3 प्रकार के derived data types पाए जाते है।*.Arrays
    I. Functions
    II. Pointers

Keywords

Keywords ऐसे शब्द होते है जो Language द्वारा परिभाषित किये जाते है इनका एक विशिष्ट अर्थ होता है । इनको Reserved वर्ड्स भी कहते है। Keywords, Compiler द्वारा सीधे समझे जाते है C Language में 32 keywords है सभी keywords, lowercase में लिखे जाते है।
Keywords example
int, float, char, long, double,, void, short, signed, const, for, while, do, switch, case etc.

Operator

“C++” में ये Operator Dynamically Memory Allocate करने का काम करता है। ये Operator हमारी जरूरत के अनुसार Memory Block को या Memory Locations को Reserve करता है और उन Memory Locations का Address एक Pointer के रूप में Return करता है।

Operator एक symbol होता है जो compiler को किसी भी mathematical और logical operation को perform करने के लिए कहता है| programming में ढेर सारे built-in operators मौजूद हैं|
वैसे symbols जो किसी भी प्रकार के mathematical और logical operation perform करने के लिए इस्तेमाल होते हैं| programming में उन्हें Operators कहा जाता है| Programming में operators का इस्तेमाल Data और variable को manipulate करने के लिए किया जाता है|

Types of operators

C programming में ढेर सारे built-in operators मौजूद होते हैं जिन्हें अलग अलग types में बाँट दिया गया है| जो की इस प्रकार है:

  • Arithmetic Operators
  • Assignment Operators
  • Relational Operators
  • Logical Operators
  • Conditional Operators (Ternary Operators)
  • Bitwise Operators
  • Increment / Decrement Operators
  • Special Operators

Arithmetic Operators:
Arithmetic operators सबसे basic operators होते हैं| इस operators का इस्तेमाल mathematical operations को perform करने के         लिए होता है जैसे की Addition (जोड़), Subtraction (घटाव), Multiplication (गुणा), Division (विभाजन ), Modulus division                 (मापांक विभाजन)|निचे दिया गये table में सारे Arithmetic operators के list दिए गये हैं और उनके description भी दिए गए हैं|

Operator Description Example
+ This operator is used for add two operands A + B = 5 + 3 = 8
This operator is used for subtract two operands A – B = 5 – 3 = 2
* This operator is used for multiply two operands A * B = 5 * 3 = 15
/ This operator is used for divide two operands A / B = 6 / 3 = 2
% This operator is used for modulus division of two operands A % B = 5 % 3 = 2

Assignment Operators: 

Assignment operator का इस्तेमाल किसी variable में value को assign करने के लिए किया जाता है| इस operators के list में कुछ operators आते हैं जिनका list निचे table में दिया गया है|

Operator Description Example
= Simple Assignment Operator. इस operator का इस्तेमाल variable में value को assign या store करने के लिए होता है| A = 5, C = A+B
+= Add AND Assignment Operator. यह operator right operand को left operand के value के साथ add करता है और उसके बाद उस value को left operand में assign करता है यानि की left operand में store करता है| C += A यह C = C + A के बराबर है|
-= Subtract AND Assignment Operator. यह operator right operand को left operand से subtract करता है और फिर उसका value left operand में assign करता है| C -= A यह C = C – A के बराबर है|
*= Multiply AND Assignment Operator. यह operator left operand को right operand के साथ multiply करता है और फिर उसका रिजल्ट left operandमें store करता है| C *= A यह C = C * A के बराबर है|
%= Modulus AND Assignment Operator. यह दो operands के modulus के रिजल्ट कोleft operand में store करता है| C %= A यह C = C % A के बराबर है|

Relational Operator:

Relational Operator का इस्तेमाल दो operands के value को compare करने के लिए किया जाता है इसलिए इसे Comparison operator भी कहा जाता है| निचे दिए गए table में Relational operator के list दिए गये हैं|

Operator Description
== इस operator को equal to operator कहा जाता है| इस operator का इस्तेमाल दो valueको equal check करने के लिए किया जाता है| अगर दोनों value equal होता है तो यह true return करता है
!= इस operator को Not equal to operator कहा जाता है| इसका इस्तेमाल दो operands को equal नहीं होने के लिए check किया जाता है| मतलब की इस operator का इस्तेमाल दो operands के value को check करने के लिए किया जाता है अगर दोनों operands का value equal नहीं होता है तो यह true return करता है|
> इस operator को Greater than operator कहा जाता है| इसका इस्तेमाल First operand के value को second operand के value से greater check करने के लिए किया जाता है| अगर First operand का value secondoperand के value से बड़ा होता है तो यह true return करता है जैसे (5 > 2) return true
< इस operator को Less than operator कहा जाता है| इसका इस्तेमाल First operand के value को second operand के value से less than check करने के लिए किया जाता है| अगर First operand का value second operand के value से छोटा होता है तो यह true return करता है जैसे (3 < 4) return true
>= इस operator को Greater than equal to operator कहा जाता है| इसका इस्तेमाल First operand के valueको second operand के value से greater और equal check करने के लिए किया जाता है| अगर First operandका value second operand के value से बड़ा होता है या बराबर होता है तो यह true return करता है जैसे (5 >= 5) return true
<= इस operator को Less than equal to operator कहा जाता है| इसका इस्तेमाल First operand के value को second operand के value से Less और equal check करने के लिए किया जाता है| अगर First operand का value second operand के value से छोटा होता है या बराबर होता है तो यह true return करता है जैसे (5 <= 5) return true

Logical Operators:

Logical Operators का इस्तेमाल दो expression और condition को combine करने के लिए किया जाता है| इस operators का इस्तेमाल logical operation को perform करने के लिए किया जाता है|
Logical operators के list कुछ इस प्रकार हैं जो की निचे के table में दिखाए गये हैं|

Operator Description Example
&& इस operator को Logical AND operator कहा जाता है| इस operator का इस्तेमाल दो expression के output को check करने के लिए किया जाता है| इसमें अगरदोनों expression का output true होगा तभी यह true return करेगा अन्यथा Falsereturn करेगा| जैसे A के पास value 5 store है और B के पास value 3 store है| ((A * B) == 15) && ((A + B) == 8)Return true
|| इस operator को Logical OR operator कहा जाता है| इस operator का इस्तेमाल दोexpression के output को check करने के लिए किया जाता है| इसमें अगर दोनों में से कोई एकexpression का output true होगा तो यह true return करेगा अन्यथा False returnकरेगा| जैसे A के पास value 5 store है और B के पास value 3 store है| ((A * B) == 15) || ((A + B) == 7)Return true
! इस operator को Logical NOT operator कहा जाता है| इस operator का इस्तेमाल किसी भी Logical state को reverse करने के लिए किया जाता है| अगर कोई condition true होता है तो Logical NOT operator उसको false बना देता है| जैसे A के पास value 5 store है, और B के पास value 3 store है| ((A * B) == 15) && ((A + B) == 8)return false

Conditional operators का इस्तेमाल condition को check करने के लिए किया जाता है| इस operator के पास केवल दो ही option होते हैं TRUE और FALSE. अगर दिया गया condition satisfy करता है तो TRUE return होगा अन्यथा FALSE return होगा|Conditional Operators (Ternary Operators):

इस operator को दो नामों से जाना जाता है|
             Ternary Operator
             Conditional operator

Bitwise Operator:

Bitwise operator का इस्तेमाल BIT level के data को manipulate करने के लिए किया जाता है| इस operator का इस्तेमाल right से left और left से right bit shifting के लिए किया जाता है| Bitwise operator float और double data type पर apply नहीं होता है|

Operator Description
& Bitwise AND
| Bitwise OR
^ Bitwise exclusive OR
<< Left Shift
>> Right Shift

Increment / Decrement Operator:

Increment / Decrement operator का इस्तेमाल variable के value को एक बार increase और Decrease करने के लिए किया जाता है| जैसे यदि पहले से variable में 5 value store है तो increment operator के द्वारा इसका value 6 हो जायेगा और decrement operator के द्वारा इसका value 4 हो जायेगा|
Increment / decrement operator दो प्रकार के होते हैं|

Pre increment / decrement:
Pre increment / decrement operator में सबसे पहले value increase और decrease होता है उसके बाद आगे का                              calculation perform होता है|

Post increment / decrement:
Post increment / decrement operator में सबसे पहले calculation perform हो जाता है उसके बाद value change होता है|                Post का मतलब होता है बाद में| इसमें कैलकुलेशन perform होने के बाद में value increase और decrease होता है|

Special Operator

Special operator का इस्तेमाल special work को perform करने के लिए किया जाता है| C programming में ढेर सारे special                     operator है जिनके list यहाँ दिए गये हैं|

Operator Description Example
sizeof() यह operator किसी भी variable का size उसके data type के अनुसारreturn करता है| जैसे a एक integer variable है तो यह 4 या 2 return करेगा|
& यह operator variable के address को return करता है| &a; यह a के address को return करेगा|
* Pointer variable को denote करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है| *a

Control Statement

प्रोग्रामिंग भाषा में, प्रोग्राम के execution के flow को नियंत्रित करने के लिए जो स्टेटमेंट्स या structures प्रयोग किये जाते है उन्हें control statements(structures) कहते है.
C++ Programming में Statement के सात प्रकार है
I. if Statement
II. if_else Statement
III. else_if Statement
IV. switch case Statement
V. break Statement
VI. continue Statement
VII. goto Statement

I. if Statement
if statement एक control statement है जिसका प्रयोग एक विशेष कंडीशन को test करने के लिए किया जाता है. इसमें कंडीशन केवल              एक बार execute होती है जब कंडीशन सत्य होती है|
II. if_else Statement
किसी विशेष कंडीशन को test करने के लिए if-else statement का प्रयोग किया जाता है. यदि कंडीशन सत्य है तो if statement को                  execute किया जाता है अगर कंडीशन असत्य है तो else statement को execute किया जाता है|
III. else_if Statement
else_if Statement में अगर if की Condition true होती है तो if का statement execute होता है | अगर if का condition false होता है         तो वो अगले condition पर जाकर check करता है | अगर वो condition true होता है तो वो उसका statement execute करता है | अगर           कोई भी condition true नहीं होती तो वो else का statement execute करता है |
IV. Switch case Statement
switch statement एक multi-way branch स्टेटमेंट है|यह statement भी एक selection स्टेटमेंट जो कि एक प्रोग्राम के execution            के लिए विभिन्न paths को डिफाइन करता है|यह if-else स्टेटमेंट के लिए विकल्प के तौर पर कार्य करता है|
V. Break Statement
इस स्टेटमेंट का प्रयोग switch स्टेटमेंट में स्टेटमेंट के अनुक्रम(sequence) को समाप्त करने के लिए किया जाता है तथा किसी loop को            तुरंत exit करने के लिए किया जाता है|
VI. Continue Statement
continue स्टेटमेंट का प्रयोग तब किया जाता है जब हम loop को लगातार अगले iteration के साथ run करना चाहते है तथा वर्तमान                  iteration के लिए लूप के अन्य स्टेटमेंट्स को skip करना चाहते है|
VII. goto Statement
Go to ये C++ Programming का statement है | इसमें labels का use किया जाता है |Goto Statement के दो प्रकार होते है |
* Forward
* Backward

Loop

loops के द्वारा हम किसी एक स्टेटमेंट या बहुत सारें स्टेटमेंट्स को एक से ज्यादा बार execute कर सकते है जब तक कि condition को प्राप्त नहीं कर लिया जाता|
loops स्टेटमेंट 3 प्रकार के होते है:-
1. while loop
2. do-while loop
3. for loop

1. while loop:
while loop एक entry-controlled लूप है| इसमें स्टेटमेंट तब तक लगातार execute होते रहता है जब तक कि एक condition सत्य(true) नहीं हो जाती है| यह सबसे पहले condition की जांच करती है और बाद में स्टेटमेंट को execute करती है|
2. do-while loop:
यह loop एक exit-controlled लूप है| यह लूप भी while लूप की तरह ही है परन्तु यह पहले स्टेटमेंट को execute करता है तथा बाद में condition की जांच करता है| यह loop यह सुनिश्चित करता है कि प्रोग्राम को कम से कम एक बार execute किया गया है|
3. for loop:
यह एक entry controlled लूप है| इसमें स्टेटमेंट तब तक execute होता है जब तक कि condition सत्य नही हो जाती है| यह loop तीघटकों initialization स्टेटमेंट, boolean स्टेटमेंट तथा increment/decrement स्टेटमेंट से मिलकर बना होता है|

Function

C++ में C language के सभी inbuilt Function का प्रयोग किया जा सकता हैं तथा User अपने अनुसार भी Function का निर्माण कर सकता हैं जिन्‍हें user defined Function कहा जाता हैं। C++ का Program Structured Programming के अंतर्गत होती है, अर्थात् इसमें Program को विभिन्‍न Function में विभाजित कर बनाया जाता हैं। Function का program में महत्‍वपूर्ण योगदान होता हैं। Function के द्वारा कई कार्य आसानी से किये जा सकते हैं।
Function एक प्रकार का Program होता हैं जो एक विशेष कार्य को करता हैं। फंक्शन Program को Short करने के अलावा Program की Execution Speed भी बढ़ाता हैं।

Recursion

एक Function जो स्वयं को Call करता है उसे Recursive function के रूप में जाना जाता है| Recursion एक ऐसा process है , जो loop के तरह काम करता है |Recursion को एक satisfied condition लगती है, जिससे recursive function काम करना बंद कर दे |Recursive Function तबतक call होता रहता है, जबतक उसका satisfaction नहीं होता |अगर Recursive function का satisfaction नहीं हो तो ‘infinite looping’ की संभावना होती है |

Array

जब हमें एक ही प्रकार के बहुत से Data को Combine करके उन पर प्रक्रिया करनी होती है तब Array को Use किया जाता है। Array Data को Store करने व Process करने का सबसे सरल Data Structure है। Strings वास्तव में एक Characters का Array होता है।
Array की एक सबसे बडी कमी ये है कि हम इसमें केवल एक ही तरह के Data को Store कर सकते हैं। हालांकि दूसरे Data Type के Data को Store करने के लिए हम दूसरे Data Type के Array का प्रयोग कर सकते हैं और विभिन्न प्रकार के Data को एक Group के रूप में Store करने के लिए हम Structures का प्रयोग कर सकते हैं।

Array एक ऐसा तरीका है जिसमें हम एक ही Data Type के कई Data को एक साथ एक Group के रूप में रख सकते हैं और उनके साथ विभिन्न प्रकार की प्रक्रिया कर सकते हैं। Array इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि Array में Stored किसी भी Data को हम किसी भी समय अपनी आवश्‍यकतानुसार Array के Index Number का प्रयोग करके Access कर सकते हैं और हम Array में Stored सभी मानों को क्रम से एक Cycle के रूप में भी Access कर सकते हैं।

Pointer

पॉइंटर एक विशेष प्रकार का वेरिएबल होता है, जिसका उपयोग दूसरे वेरिएबल या ऑब्जेक्ट के एड्रेस को स्टोर करने के लिए किया जाता है। Pointer Variable Address को प्रदर्शित करने का एक प्रकार है। Pointer से दो ऑपरेटर सम्बंधित होते हैं।

  1. & (ampersand operator) जिसे हम address of पड़ते हैं|
  2. * (Pointer or indirection) जिसे हम value of पड़ते हैं|

Pointer दुसरे Data Type की तरह ही एक data Type हैं जो Memory में खुद के लिये भी एक Address लेता हैं। C++ में use होने वाले कुछ Pointer Value निम्‍नलिखित हैं।

  • Pointer to Character – Char*
  • Pointer to Integer – int*
  • Pointer to Float – Float*
  • Pointer to Union – Union*
  • Pointer to Class – Class Name*
  • Pointer to Pointer – Char**, int**, float**

Object class

OOP के लिए Class और Object बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है |OOP का concept Objects और Classes पर निर्भर है |Class के अन्दर बहुत सारे member function और data members हो सकते है | जिसको object के जरिये access किया जाता है |Class के अन्दर जो variables होते है उन्हें data members कहते है और जो functions होते है उन्हें member functions कहते है|

Defining Class

Class को define करने के लिए class keyword का इस्तेमाल किया जाता है | इसके साथ ‘Classname’ जाता है | Class के नाम का पहला character Uppercase या Lowercase दोनों भी हो सकता है | लेकिन Class के नाम का पहला अक्षर Uppercase में होना एक ‘Good Programming’ कहलाता है |

Class के लिए और भी कुछ महत्वपूर्ण हिस्से है | जैसे कि, Access Specifier

Access Specifier / Modifier का use Access Control करने के लिए किया जाता है |
Access Specifier तीन प्रकार के होते है |

  • private
  • public
  • protected1. private : private में class के members मतलब variables लिखे जाते है | private के बिना private के members लिखे जाते है वो                     default private member होता है | private member सिर्फ उसके class के लिए ही काम करते है | ये class के बाहर access नहीं होते |
    2. protected : protected का काम private की तरह ही होता है | ये inherited होते है | इनका इस्तेमाल Inheritance में किया जाता है |
    3. public : public के members class के अंदर और बाहर दोनों ही जगह पर access किये जाते है | इसके अन्दर data members को                      भी लिखा जाता है |

Inheritance

C++ में किसी function या data type को reuse किया जा सकता है, जिससे उसे दुबारा create करने की आवश्यकता ना पड़े|
C++ में एक class बनाने पर अगर उस class के data type या function को access करना हो तो एक new class का निर्माण करना होता है।

  • Old class से new class को derive करना inheritance कहलाता है।
  • Old class को base class या super class कहते है तथा derived class या sub class properties को inherit करती है|
  • Inheritance को use करने के लिए colon (:) operator का इस्तेमाल होता है।

Types of inheritance in Hindi

यहाँ पांच प्रकार के इनहेरिटेंस है –

  1. Single inheritance
  2. Multilevel inheritance
  3. Hierarchical inheritance
  4. Hybrid inheritance

Single inheritance :
जब किसी एक class को किसी दुसरे class द्वारा inherit किया जाता है तो उस इनहेरिटेंस को single inheritance कहते है। इसमें एक class की property को दुसरे class द्वारा लिया जाता है। इस में केवल एक super class और एक sub class होता है।

Multiple inheritance :
जब एक से अधिक classes को एक class द्वारा inherit किया जाता है उस इनहेरिटेंस को multiple inheritance कहते है। इसमें एक से अधिक class की property को एक class द्वारा inherit किया जाता है। इस में एक से अधिक super class और एक sub class होते है.
जावा multipal inheritance को support नहीं करती है|

Multilevel inheritance :
जब एक से अधिक class एक level में एक दूसरे को inherit करते है तो उस इनहेरिटेंस को multilevel inheritance कहते है। इसमें एक class किसी दुसरे class को inherit करता है और वह class जो class को inherit करता है वह sub class बन जाता है और उसी sub class को दुसरे class द्वारा inherit किया जाता है। इसी प्रकार सभी class एक दुसरे को inherit करते है।

Hierarchical inheritance :
जब एक base class को एक से अधिक sub class द्वारा inherit किया जाता है तो उस इनहेरिटेंस को hierarchical inheritance कहते है। इसमें एक class की property को एक से अधिक class द्वारा लिया जाता है। hierarchical इनहेरिटेंस में एक base class और एक से अधिक sub class होते है। यह multiple इनहेरिटेंस के विपरीत होता है।

Hybrid inheritance :
जब हम किसी दो प्रकार के इनहेरिटेंस को अपने program में mix करते है तो उसे hybrid इनहेरिटेंस कहते है। यह इनहेरिटेंस एक से अधिक इनहेरिटेंस का combination होता है। अर्थात् यह दो या दो से अधिक इनहेरिटेंस से मिलकर बना होता है|

Polymorphism

OOPS का तीसरा सबसे महत्वपूर्ण Concept है Polymorphism, जिसे C++ में Virtual Functions द्वारा Implement किया जाता है।
वास्तविक जीवन में भी हम देखते हैं कि विभिन्न प्रकार की चीजों का कोई समूह किसी एक Instruction के प्रभाव में विभिन्न प्रकार के Reactions करता है। किसी एक Instruction का विभिन्न लोगों पर विभिन्न प्रभाव होता है और सभी लोग उस एक Instruction को अपनी सुविधा के अनुसार समझ कर उसके प्रति अपना Reaction देते हैं। यही प्रक्रिया C++ में Polymorphism कहलाती है।

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